राजस्थान (Rajasthan) में चित्तौड़गढ़ जिले के आंजना परिवार की ओर से 56 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) को तौलने के लिए जमा कराए 56 किलो 863 ग्राम सोने पर उदयपुर की अदालत ने सरकार का हक माना है। जिला व सत्र न्यायालय ने इस सोने को केद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग को सुपुर्द किए जाने के आदेश दिए हैं। इससे पहले इस मामले में उदयपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पिछले साल पांच अगस्त को फैसला दिया था और उक्त सोने को पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग को सौंपने के आदेश दिए थे। इसके विरोध में आंजना परिवार के सदस्य गोवर्धन लाल ने जिला व सत्र न्यायालय में अपील की थी।
आंजना परिवार के वकील भंवर सिंह बताते हैं कि चित्तौडग़ढ़ जिले की छोटी सादड़ी तहसील के गोमाना गांव के सर्राफा व्यापारी गणपत लाल पुत्र भैरूलाल आंजना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 16 दिसंबर, 1965 को प्रस्तावित छोटी सादड़ी की यात्रा के दौरान उन्हें सोने से तोलने की घोषणा की थी। इसके लिए आंजना परिवार ने शास्त्रीजी के वजन के बराबर 57 किलो 863 ग्राम सोना जिला कलेक्टर कार्यालय में सुरक्षित रखवाया था। वह छोटी सादड़ी आ पाते उससे पहले ही ताशकंद में प्रधानमंत्री शास्त्री का निधन हो गया। इसके बाद आंजना परिवार ने जिला कलेक्ट्रेट में प्रार्थना पेश कर वहां जमा कराया सोना वापस लौटाने की मांग की, लेकिन यह सोना आंजना परिवार को नहीं मिल पाया। गणपतलाल आंजना की मौत के बाद उनके बेटे गोवर्धन लाल आंजना और उनके परिवार के सदस्य पिछले 55 साल से इस सोने के लिए हक के लिए लड़ाई जारी रखे हुए हैं। जिला व सत्र न्यायालय के फैसले को लेकर आंजना परिवार हाईेकोर्ट में याचिका पेश करेगा। इस सोने के स्वामित्व को लेकर पहले से ही एक मामला हाईकोर्ट में लंबित है। (एसजेएनएन)
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