महाराष्ट्र (Maharashtra) में नासिक (Nashik) जिले के डिंडोरी तालुका (Dindori Taluka) में एक 34 वर्षीय दिव्यांग सरपंच (Sarpanch) कविता पुंडलीक भोंडवे (Kavita Bhondwe) ने गांव की तस्वीर बदल दी है। कविता पोलियो वायरस की शिकार हैं और वह बैशाखी लेकर चलती हैं। वह दूसरी बार सरपंच चुनी गई हैं। वर्तमान में अपने दूसरे कार्यकाल में कविता ने ग्राम पंचायतों के मामलों में बदलाव किए और अवैध प्रथाओं के खिलाफ खड़ी हुईं।
कविता के मुताबिक, शुरुआत में लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया। कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही थी कि मैं 25 साल की उम्र में सरपंच कैसे बन गई। मैंने परिस्थितियों का मुकाबला किया। गांव के लोगों और पिता ने साथ दिया। हमने इस दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।
कविता को आने-जाने में दिक्कत होती है। फिर भी वह नियमित कार्यों का जायजा लेती हैं। (एएनआई)