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Arbi Farming: अरबी की खेती से ऐसे करें लाखों की कमाई, ये हैं इसके फायदे

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अरबी को घुइयां और अरुई भी कहते हैं। कंद के साथ इसके पत्ते भी खाए जाते हैं। इसकी खेती से किसानों को बहुत लाभ होता है। इसकी खेती कर लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। अरबी के पत्तों में कई गुण पाए जाते हैं। इसमें स्टार्च होता है, जो शरीर में आसानी से अब्सॉर्ब नहीं होता है। कई राज्यों में इसके पकौड़े बनते हैं तो कहीं इनके पत्तों का रायता बनता है। अरबी की बुवाई जून-जुलाई में करनी चाहिए। बुवाई के बाद कंद को अच्छी तरह से ढक दें। बुवाई के चार-पांच माह बाद जब इसकी पत्तियां सूखने लगे, तब खुदाई करें। इसकी कंदों को ऐसी जगह पर फैलाकर रखें जहां गर्मी ना हो और इन्हें पलटते रहें।

ये हैं अरबी के फायदे
अरबी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। पाचन में मददगार है। शरीर में फैट जमा नहीं होता। देर से पचती है। भूख नहीं लगती, जिससे वजन नियंत्रित रहता है। ह्रदय के रोगियों को अरबी खाने की सलाह दी जाती है। अरबी खाने से कील-मुंहासे दूर हो जाते हैं। अरबी में पाए जाने वाले तत्व से इम्युन सिस्टम मजबूत होता है। अरबी में ग्लाइकोसाइड्स तत्त्व होता है। खांसी होने पर बलगम को शरीर के बाहर निकलने में मदद करता है।
बाल अगर झड़ रहे हैं तो अरबी का इस्तेमाल करें। कंद का रस निकालकर सिर पर मालिश करने से फायदा होता है। बाल गिरने रुक सकते हैं।
घाव सुखाने के लिए अरबी के पत्तों का इस्तेमाल करें, रस निकालकर घाव पर लगाने से बड़ा असर होता है।
कान बहता हो या दर्द होता हो तो इसके पत्ते के रस कान में डालने से फायदा मिलता है।
नींद नहीं आने की समस्या है तो इसे साग बनाकर खाएं। अनिद्रा की दिक्कत नहीं होगी।
दस्त नहीं रुक रहे तो पत्ते का काढ़ा बनाएं। दस्त रुक सकते हैं। कब्ज दूर होती है, काढ़ा बनाकर पिएं।
सिर में दर्द से आराम मिलता है। अरबी कंद में दही मिलाकर पिएं। शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं।
सूजन की समस्या दूर हो सकती है। पत्ते और डंडियों के रस में नमक मिलाएं, इसका लेप करें। इससे मांसपेशियों की सूजन ठीक होती है। उच्च रक्तचाप है तो इसकी सब्जी जरूर खाएं।

इन नामों से भी जानते हैं इसे
अरबी का वानस्पतिक नाम कोलोकेसिया एस्कुलेंटा है। यह ऐरेसी कुल का है। इसे इजिप्टियन ऐरम, टैरो रूट भी कहते हैं। संस्कृत में आलुकी और कच्चू के नाम से जानी जाती है। गुजराती इसे अलवी और बंगाली इसे काचू कहते हैं। (एसजेएनएन)

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