केले की खेती से किसान काफी मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती से किसानों की तकदीर बदल रही है। केले की पौध रोपित करने पर जब तक यह बड़े नहीं होते, तब तक इनके आसपास लहसुन, प्याज व हरी मिर्च की खेती भी की जा सकती है। इससे अतिरिक्त लाभ मिलता है। केले की पौध बड़ी हो जाने के बाद हल्दी की खेती भी की जाती है। केले में कई औषधीय गुण हैं। इस कारण साल भर इसकी मांग बनी रहती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इसीलिए लोग इसे हर मौसम में खाना पसंद करते हैं। इसे देखते हुए देश में केले की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है। एक साल में केले की फसल तैयार हो जाती है और उसे मंडी में भेजा जाता है। फसल के कटते ही पेड़ को काटकर उसे खेत में ही डाल दिया जाता है। काटे गए केले से खेत को काफी अच्छी खाद मिल जाती है। जहां से केले को काटा जाता है, उसकी जड़ से ही दूसरे साल के लिए पौध निकलने लगती है। जो कि आगे फसल देते हैं। एक बार की लगाई पौध पांच साल तक फसल देती है।
ऐसे होगी ज्यादा पैदावार
केले की खेती के लिए उष्ण और आर्द्र जलवायु अच्छी मानी जाती है। इसके लिए बलुई और दोमट मिट्टी को सही माना जाता है। अच्छी खेती के लिए मिट्टी में जल निकासी का गुण भी होना चाहिए। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश युक्त मिट्टी में केले का उत्पादन ज्यादा होता है। फरवरी व मार्च में केले की खेती अच्छी मानी जाती है। अच्छा उत्पादन लेने के लिए केले की उन्नत किस्में उगानी चाहिए।
ऐसे करें खेती
केले का रोपण करने के लिए पौधों को गड्ढे या नालियों में उगाया जाता है। एक या दो जुताई कर पाटा लगाया जाता है। इसके बाद दो या तीन मीटर की दूरी पर 50 सेमी लंबे, चौड़े और गहरे गड्ढे किए जाते हैं। इन गड्ढों को 15 दिन के लिए धूप में खुला छोड़ दिया जाता है। इसके बाद इन गड्ढों में 10 किलो गोबर की खाद, 250 ग्राम नीम केक और 20 ग्राम कार्बोफ्युरॉन डाला जाता है। इसके बाद केले के पौधों की रोपाई करें। केले की जड़ें ज्यादा गहराई तक नहीं जाती हैं, इसीलिए पानी की सही उपलब्धता का ध्यान देना पड़ता है।
ऐसे करें सिंचाई
केले की अच्छी पैदावार के लिए 70-75 सिंचाई की जरूरत होती है। सर्दियों में 7-8 दिन के अंतराल पर तो गर्मियों में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. पौधों की जड़ों को नुकसान से बचाने के लिए ड्रिप सिंचाई की सलाह दी जाती है। इससे पानी की बचत होती है और पौधों को अच्छी बढ़वार भी मिलती है। केले में कई तरह के कीट और रोग लगने की आशंका रहती है, जिससे फसल के नुकसान होने का खतरा होता है। फसल खराब न हों, इसके लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह कर उचित दवा का छिड़काव करना चाहिए।
इस वक्त करें केले की तुड़ाई
रोपाई के बाद लगभग 11-12 माह बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। बाजार की मांग और बाजार की दूरी को देखते हुए किसानों को फसल की तोड़ाई करनी चाहिए। बाजार दूर हो तो 70-75 प्रतिशत पके फलों को तोड़ना चाहिए। इससे फलों के खराब होने का डर नहीं रहता। इस तरह कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान केले का अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
इतना होगा मुनाफा
केले की खेती सही ढंग से करें तो मुनाफा कई गुना तक बढ़ जाता है। सही खेती के लिए पौधे से पौधे के बीच का गैप छह फीट होना चाहिए। इस लिहाज से एक एकड़ में 1250 पौधे आसानी से और सही ढंग से बढ़ते हैं। पौधों के बीच की दूरी सही हो तो फल भी सही और एक समान आते हैं। प्रति एकड़ डेढ़ से पौने दो लाख रुपये तक लागत आती है। एक एकड़ की पैदावार तीन से साढ़े तीन लाख रुपये तक में बिक जाती है। एक साल में डेढ़ से दो लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। (एसजेएनएन)
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